जोगीमारा गुफा के चित्र एवं उनकी विशेषता

जोगीमारा गुफा के चित्र एवं उनकी विशेषता

जोगीमारा गुफा के चित्र एवं उनकी विशेषता


 Jogimara Cave (जोगीमारा गुफा के चित्र एवं उनकी विशेषता)

Jogimara Cave:जोगीमारा गुफा चित्र भारत में उपलब्ध प्राचीन भित्ति चित्रों के रूप में प्राप्त हुए हैं। अशोक ने अनेक स्तंभ स्तूप चैत्य गृह लोक मूर्तियों का निर्माण किया, ऐसा माना जाता है कि सम्राट अशोक के समय में जोगीमारा गुफाओं का निर्माण हुआ।

जोगीमारा की गुफाएं मध्य प्रदेश की भूतपूर्व सरगुजा रियासत रामगढ़ की पहाड़ियों में कुछ गुफाओं में हैं यहां पहुंचने का मार्ग अत्यंत कठिन रहा है यहां पर कुछ निम्न स्तर के उकेरित शिला खंड व मूर्तियां बिखरी पड़ी हैं। जिनका वर्णन श्री आसित कुमार हल्दरश्री समरेंद्र नाथ गुप्ता ने जोगीमारा के एक यात्रा संस्मरण में किया है।

आसित कुमार हाल्दार व समरेंद्र नाथ गुप्ता ने 1914 ईस्वी में भारतीय पुरातत्व विभाग के निमंत्रण पर जोगीमारा नामक गुफा में बने भित्ति चित्रों की प्रतिलिपियां बनाने गए थे।

जोगीमारा की गुफाओं में कई गुफाएं हैं जिनमें सीता बोंगरा, जोगीमारा, लक्ष्मण बेंगरा व वशिष्ठ केवल जोगीमारा गुफा में प्रायः 300 वर्ष पूर्व के कुछ चित्र विद्यमान है।

रामगढ़ पहाड़ पर चढ़ते हुए पोरी देवरी नाम की एक सिरे-ड्योढी आती है यहां से आगे बढ़ने पर कबीर चौड़ा व वशिष्ट गुफा आती है यहां से ऊपर चढ़कर सिंहद्वार हैं और आगे रावण द्वार हैं यहां रावण कुंभकरण व नर्तकियों की मूर्तियां मिलती है। ऊपर जाकर राम सीता लक्ष्मण वरुण देव काली आदि के कई मंदिर हैं यहां अनेक छोटी-छोटी गुफाएं हैं जिनमें ऋषि मुनि तपस्या करते थे इन्हीं में एक बड़ी गुफा लक्ष्मण बोंगरा है।

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जोगीमारा गुफा के चित्र एवं उनकी विशेषता

              Jogimara Cave ( जोगीमारा गुफा व उसके चित्र)           


सीताबोंगरा के निकट ही जोगीमारा गुफा है जो 90 मीटर लंबी 4.5 मीटर चौड़ी है विद्वानों का मत है कि देवदासी सूतनुका ने इस गुफा के भित्ति चित्रों का निर्माण किया था इन चित्रों के संबंध में एक महत्वपूर्ण रहस्य है यह है कि असली चित्रों के ऊपर सफेद रंग पहुंचकर पुराने चित्रों को अकुशल हाथों से पुनः बनाने का प्रयास किया गया पहली चित्रकारी मौर्य काल की प्रतीत होती है। इन गुफा चित्रों को अलग-अलग खंडों में विभाजित किया गया जो निम्न है-

प्रथम खंड: प्रथम खंड में कुछ मानव आकृतियां हैं इसी में एक हाथी व मछली भी बनी है लहरें भी बनाई गई हैं यह चित्र सफेद कालेवा लाल रंग से बने हैं।

द्वितीय खण्ड : इस खंड में कुछ व्यक्ति पेड़ के नीचे वार्तालाप में व्यस्त दिखाए गए हैं। चित्र के वृक्ष में एक मोटा था ना कुछ डोडिया तथा दो तीन पत्तियां मात्र दर्शाई गई है।

तृतीय खण्ड : इस खंड में एक बगीचे में सम प्रेरक रूप में कुछ पुष्प बनाए गए हैं यहां पुष्प के ऊपर नृत्य करता हुआ एक युगल चित्रित है।

चतुर्थ खण्ड : इस खंड में कुछ मानव आकृतियां व पक्षी बने हैं चित्र का अधिकांश भाग नष्ट हो गया है।

पंचम खण्ड: इस खंड में एक नृत्यांगना बैठी हुई दिखाई गई है और वह गायकों तथा मृतकों के झुंड के घेरे में है ।

अंतिम दो खंडों में चित्र प्राया मिट चुके हैं फिर भी कुछ रथों का स्पष्ट अंकन दिखाई देता है।


जोगीमारा की गुफाओं की विशेषता

  • दूसरे स्तर के वर्तमान चित्र सफेद रंग की पृष्ठभूमि व लाल रंग से बने हैं
  • असली चित्र में झांकती रेखाएं तथागत इससे आविर्भूत है।
  • मानवीय शहरे गहरे लाल रंग से बनाए गए हैं। जिनकी बाहरी रेखाएं कहीं-कहीं काले रंग की है।
  • चित्रित विषय बड़े ही सुंदर हैं और तत्कालीन समाज के मनोविनोद को दिग्दर्शित करते हैं।
  • भित्ति चित्र में लाल पीले रंगों की अधिकता है।
  • संयोजन में सन्मुख नियम का ही पालन किया गया है।

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