बूंदी शैली के चित्र और उनकी विशेषता

बूंदी शैली के चित्र और उनकी विशेषता

बूंदी शैली के चित्र और उनकी विशेषता

 बूंदी शैली

बूंदी हाडोती क्षेत्र का प्रमुख नगर है जो हाड़ा राजाओं की राजधानी रहा। यहां के राजाओं की वीरता न्याय प्रिय था तथा राष्ट्रप्रेम सर्वत्र आदर की दृष्टि से देखा जाता है। इस शैली का विकास 16 मी सदी के मध्य राजाराम सुरजन सिंह के समय में उपलब्ध होता है। तत्पश्चात राजा रतन सिंह, छत्रसाल भाव सिंह, अमृत सिंह उम्मेद सिंह एवं राम सिंह क्रमशाह राज गद्दी पर बैठे तथा चित्र परंपरा का पराश्रय दिया। वहां के अधिकांश उच्च श्रेणी के चित्र विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम लंदन में संग्रहित हैं।


विषय वस्तु:

चित्रकारों ने रीतिकाल साहित्य को अपनी कला का विषय बनाया, साथ ही राग माला बारहमासा नायिका भेद तथा विभिन्न ऋतु का चित्र बूंदी कलाकारों का प्रिय विषय था। राग दीपक और रागिनी भैरवी के चित्र इसके उत्कृष्ट उदाहरण है। रसिकप्रिया का अंकन अंतापुर के दृश्य घुड़सवारी के दृश्य आखेट चित्र तथा दरबारी चित्र का भी अंकन हुआ है। बाद में शुद्ध शैली के रूप में परिवर्तित हो गई, 18 वीं सदी में यह शैली चरमोत्कर्ष पर थी मुख्य मंडल का लाल मटियाला रंग एक अलौकिक सौंदर्य उत्पन्न करता है जो बूंदी शैली की निजी विशेषता है।


बूंदी शैली की विशेषताएं:

  • रेखाएं कोमल ,गति पूर्ण व भाव प्रधान है।
  • बूंदी चित्रों में हासिए स्वर्ण रेखा से संपन्न सिंदूरी रंग में या पीले व हरे रंगों से बने हैं।
  • गहरे नीले आकाश में घुमड़ते श्याम बादल, स्वर्ण लाल रंग के इस्पर्शो से युक्त होते हैं।
  • सघन प्राकृतिक सुषमा इन चित्रों की मुख्य विशेषता है।
  • लाल सफेद पीले व हरे रंग की संगति बूंदी चित्रकारों को बड़ी प्रिय रही है।
  • बूंदी कलाकारों ने चेहरों को उभार देने के लिए गहरी छाया का प्रयोग किया है।
  • बूंदी चित्रों में मानव आकृतियों का कद लंबा, स्फूर्तिमय इकहरा बदन है। स्त्रियों के गोल चेहरे, आम के पत्ते के समान आंखें, पतले होठ, छोटी नाक, पीछे को सटी हुई चीबुक वह पीछे को जाता ललाट बना है।
  • वेशभूषा में काले रंग के लहंगे और लाल चुनरी बनी है।
  • पुरुष आकृतियों को नील वर्ण या गौर वर्ण में बनाया गया। गोल मुख, दाढ़ी व मूछों से युक्त एवं भारी चिबुक वाला है। 
  • गोल गुंबद आकार और घुमावदार राजस्थानी छतरियां, रेशमी लाल हरे परदे व नायिकाएं मणिकुट्टिम से सुसज्जित भित्तियां और चौक आदि चित्रों की रूप अंतराल व्यवस्था में विविधता एवं संपन्नता प्रस्तुत करती हैं।
श्रृंगार विषय चित्रों की रचना बूंदी शैली की अपनी विशेषता है इस प्रकार बूंदी चित्र शैली अपना विशेष स्थान रखती है।


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