चित्रकला की महत्वपूर्ण जानकारी वाले शव्द | Art Helpfull Word Explanation

चित्रकला की महत्वपूर्ण जानकारी वाले शव्द | Art Helpfull Word Explanation

चित्रकला की महत्वपूर्ण जानकारी वाले शव्द | Art Helpfull Word Explanation

चित्रकला की महत्वपूर्ण जानकारी वाले शव्द | Art Helpfull Word Explanation 


लोककला :


वह चित्र जो परंपरागत तरीके से दीवार फर्श पर बनाए जाते हैं उसे ट्रेडिशनल आर्ट या लोककला कहते हैं। उदाहरण: अल्पना, रंगोली, मेहंदी आदि।




अन्टाइल्ड :


मानचित्र जिसका कोई शीर्षक ना हो अन्टाइल्ड कहलाता है।




ट्राइबल आर्ट:


जनजाति से संबंधित कलाकृति को ट्राईबल आर्ट कहते हैं।




एनीमेशन:



इसी कहानी पर आधारित कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के आधार पर फिल्म का निर्माण करना एनिमेशन कहलाता है।




कैलीग्राफी:


सुंदर अक्षर लेखन को कैलीग्राफी कहते हैं।




लेपकम्प :


लकड़ी का पत्थर का चित्रण करना लेपकम्प कहलाता है।




काकीमीनो :


जापानी पद्धति (कुण्डली चित्र ) को काकीमीनो कहते हैं।



हाइगा :


जापानी रंग चित्रकला को हाइगा कहते हैं।




मूर्ति :


अपनी अभिव्यक्ति के आधार पर रचना करना मूर्ति कहलाता है।




प्रतिमा :


किसी भी वस्तु या मनुष्य का वास्तविक रूप चित्रण करना ही प्रतिमा कहलाता है।




कंपोजिशन :


किसी चित्र के विभिन्न तत्वों को सुव्यवस्थित ढंग से सुनियोजित करना कंपोजिशन करना कहलाता है।




खसडा :


स्केच करना या रेखांकित करना खसडा़ कहलाता है।




इकेबाना:



फूलों से सजाने की कला को इकेबाना कहते हैं। यह तकनीकी जापान की कला है ।




फिरका :


छ: छोटे चित्रों के सेट को सिरका कहते हैं। यह ज्यादातर कंपनी शैली में प्रचलित था।


मोरक्का :


चित्रों के संग्रह को मोरक्का या एल्बम कहते हैं। मोरक्का मुगल काल में प्रचलित था।




बसली :


कागज के कई तह चिपका कर इस पर चित्रण करना बसली कहलाता है। मुगल काल में प्रचलित था।



थंका कला :


धर्म व तंत्र से संबंधित चित्र जो झंडे व पट चित्र बनाए जाते है। उन्हें थंका कहा जाता है। तिब्बत में प्रचलित है।


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थापाकला:


हाथ की छाप विधि को थापा कहते हैं। यह राजस्थान में प्रचलित है। यह विवाह या मांगलिक अवसर पर हाथ की छाप विधिद से दीवार पर अंकित कर पूजा की जाती है।



पटचित्र:


कपड़े पर बने चित्र को पट चित्र कहते हैं।






फ्रोताज :


इसमें धरातल पर रेगमार्क कागज से रगडना मिटाना प्रक्रिया किया जाता है।ताकि पोत की बनावट एक नये पोत मे तब्दील हो जाए तथा सुन्दर पोत सृजित हो जाए।




कोलाज :


कागज या कपड़ों के विभिन्न टुकड़े से बनी चित्र को कोलाज कहते हैं।
कोलाज विधि की खोज धनबाद के प्रवर्तक विराट ने 1912 में किया था तथा पिकासो ने कोलाज माध्यम से प्रथम कृति वेत की कुर्सी पर वस्तु समूह को बनाया। भारत में कोलाज पद्धत से चित्र बनाने वाले महान चित्रकार सतीश चंद गुजराल थे।




क्राफ्ट :


घर में अनावश्यक वस्तुओं से किसी चित्र या आकार को कलात्मक रूप देना क्राफ्ट कहलाता है। किस के प्रसिद्ध कलाकार-विवान सुंदरम, नलिनी मालिनी, सुबोध गुप्ता, नेक चंद थे।




बाटिक चित्रण:


बाटिक चित्रण कपड़ा व चमड़ा दोनों पर प्रयोग किया जाता है। कपड़े पर बाटिक करने से पूर्व मॉम को लगाते हैं और रंग को स्टॉप के माध्यम से गर्म करके रंगा अंकन किया जाता है चमड़े पर मोम की जगह बबूल के गोंद तथा रंग लगाने के लिए इस स्प्रीट का प्रयोग किया जाता है।






टेम्परा :


पानी के साथ घुलनशील एवं सूखने के बाद अघुलनशील हो जाए उसे टेंपरा कहते हैं।




भित्ति चित्रण:

दीवारों पर बने चित्र को भित्ति चित्र कहते हैं, यह सबसे प्राचीन चित्रण की विधि रही है।




पेंसिल:

किसी चित्र का रेखांकन करने के लिए (छाया प्रकाश) उत्पन्न किया जाता है। ग्रेफाइट की बनी होती है। जिसे सीधा नामक लकड़ी से बनाया जाता है। यह तीन प्रकार की होती है।

  1. 'H' पेंसिल (हार्ड या कडी पेंसिल)
  2. 'B' पेंसिल (साफ्ट या मुलायम पेंसिल)
  3. 'HB' पेंसिल हार्डनेस और ब्लैकनेस



टी स्क्वायर :


नक्शा बनाने के लिए 'T' अक्षर के आकार की पत्ली लकड़ी की बनी होती है। इससे सरल व समांतर रेखाओं को खींचने में आसानी होती है।





उपरोक्त दिए गए सभी हेडिंग आप सभी के टीजीटी और पीजीटी कला की महत्वपूर्ण बिंदु हैं जिन से भी परीक्षा में प्रश्न पूछे जाते हैं अतः आप इन्हें विशेष करके याद कर लें।

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